Module 10

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Module Ten – Business stories of Rich & Famous

प्रसिद्ध और अमीर लोगों के व्यवसाय की कहानियाँ

Stories of the Rich and Famous

a. Business story of rich and famous – Ratan Tata

Module  10.1

 

प्रसिद्ध और अमीर लोगों के व्यवसाय की कहानियाँ

Business Stories of Rich and Famous

 

 

 

रतन  टाटा

Ratan Tata

 

Text Level

Advanced

Mode

Interpretive

 

What will students know and be able to do at the end of this lesson?

Learning steps to international success

Text

रतन  टाटा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को मुंबई में हुआ और वे  टाटा समूह के वर्ष 1991 से 2012 तक अध्यक्ष थे । 2012 में अध्यक्षीय पद से निवृत्त होने के बाद वे अवैतनिक सलाहकार के रूप में अब भी समूह से संबद्ध हैं ।  टाटा समूह भारत का  सबसे बड़ा  व्यापारिक समूह है जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढ़ियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया । रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते ।  वे सालों से मुंबई के कोलाबा जिले में किताबों एवं कुत्तों से भरे हुए एक बेचलर फ्लैट में रह रहे हैं ।

जमशेदजी टाटा (3 मार्च, 1839  – 19 मई,1904)  वर्तमान में भारत के विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे । उनका जन्म सन् 1839 में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था । उनके पिता जी का नाम नुसीरवानजी था व उनकी माता जी का नाम जीवन बाई टाटा था । पारसी पादरियों के अपने खानदान में नुसीरवानजी पहले व्यवसायी थे । भाग्य उन्हें बंबई ले आया जहाँ उन्होंने व्यवसाय में कदम रखा । जमशेदजी 14 साल की नाज़ुक उम्र में ही उनका साथ देने लगे । जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कालेज में प्रवेश लिया और अपनी पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया था । वे 1858 में स्नातक हुए और अपने पिता के व्यवसाय से पूरी तरह जुड़ गए ।

उद्योग का आरम्भ

वह दौर बहुत कठिन था । अंग्रेज़ अत्यंत बर्बरता से 1857 की  क्रान्ति को कुचलने में सफल हुए थे । 29 साल की  उमर तक जमशेदजी अपने पिता जी के साथ ही काम करते रहे ।1868 में उन्होंने 21, 000 रुपयों के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया । सबसे पहले उन्होंने एक दिवालिया तेल कारखाना ख़रीदा और उसे एक रुई के कारखाने में तब्दील कर दिया और उसका नाम बदल कर रखा – एलेक्जेंडर मिल ।  दो साल बाद उन्होंने इसे खासे मुनाफे के साथ बेच दिया । इस पैसे के साथ उन्होंने नागपुर में 1874 में एक रुई का कारखाना लगाया। महारानी विक्टोरिया ने उन्हीं दिनों क्वीन विक्टोरिया का खिताब हासिल किया था और जमशेदजी ने भी वक़्त को समझते हुए कारखाने का नाम एम्प्रेस मिल रखा ।

महान दूरदर्शी

जमशेदजी एक अलग ही व्यक्तित्व के मालिक थे । उन्होंने न केवल कपड़ा बनाने के नए नए तरीक़े ही अपनाए बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों का भी खूब ध्यान रखा । उनके भले के लिए जमशेदजी ने अनेक नई व बेहतर श्रम-नीतियाँ अपनाई । इस नज़र से भी वे अपने समय से कहीं आगे थे । सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नहीं समझा बल्कि उनके लिए उनकी सफलता उन सब श्रमिकों के साथ साझी थी जो उनके लिए काम करते थे । जमशेद जी के अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से नजदीकी संबंध थे । उन में प्रमुख थे दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता । जमशेदजी की सोच पर इनका काफी प्रभाव था ।

   उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है । जमशेद जी के दिमाग में तीन बड़े विचार थे – एक, अपनी लोहा व स्टील कंपनी खोलना ; दूसरा, एक जगत प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, व तीसरा, एक जलविद्युत परियोजना संयंत्र लगाना । दुर्भाग्यवश उनके जीवन काल में तीनों में से कोई भी सपना पूरा न हो सका । पर वे बीज तो बो ही चुके थे, एक ऐसा बीज जिसकी जड़ें उनकी आने वाली पीढ़ी ने अनेक देशों में फैलायीं । उनका एक और सपना था जो वे पूरा होता देख सके और वह था – होटल ताज महल। यह दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के शाही खर्च से तैयार हुआ । इसमें भी उन्होंने अपनी राष्ट्रवादी सोच को दिखाया था । उन दिनों स्थानीय भारतीयों को बेहतरीन यूरोपियन होटलों में घुसने नहीं दिया जाता था । ताजमहल होटल इस दमनकारी नीति का करारा जवाब था ।1904 में जर्मनी में उन्होंने अपनी आख़िरी सांस ली।

       1971  में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया था ।  एक ऐसी कंपनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी । रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की बजाय उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए । उस समय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को के बाज़ार में उनकी हिस्सेदारी 2% थी, और घाटा बिक्री का 40% था । ऐसी ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से जे.आर.डी. अधिक निवेश के अनिच्छुक थे । परंतु जब रतन ने कार्य भार संभाला, जे.आर.डी. ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया  । 1972 से 1975 तक अंततः नेल्को ने अपनी बाज़ार में हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया । 1975 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात स्थिति घोषित कर दी जिसकी वजह से आर्थिक मंदी आ गई । इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्यायें हुईं। इसलिए मांग के बढ़ जाने पर भी उत्पादन में सुधार नहीं हो पाया । अंततः टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया। सात माह के लिए तालाबंदी कर दी गई । रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा लेकिन उद्यम आगे और न बढ़ सका ।

1977 में रतन को एम्प्रेस्स मिल सौंपा गया। यह टाटा नियंत्रित कपड़ा मिल थी । जब उन्होंने कम्पनी का कार्य भार संभाला, यह टाटा समूह की बीमार इकाइयों में से एक थी  । चूँकि कम श्रम गहन उद्यमों की प्रतियोगिता ने एम्प्रेस जैसी कई उन कंपनियों को अलाभकारी बना दिया था जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था । रतन के आग्रह पर  कुछ निवेश किया गया लेकिन यह पर्याप्त नहीं था । चूंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था और एम्प्रेस का कुल उत्पादन मोटे और मध्यम सूती कपड़े का ही था, परिणामतः एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा । टाटा का मुख्यालय बॉम्बे हाउस अन्य ग्रुप कंपनियों से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो । इसलिए कुछ टाटा निर्देशकों , मुख्यतः नानी पालखीवाला ने ये फैसला लिया कि टाटा को  मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अंत में 1986 में बंद कर दिया गया । रतन इस फैसले से बेहद निराश थे, और बाद में हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस मिल को जारी रखने के लिए सिर्फ़ 50 लाख रुपये की जरूरत थी ।

रतन टाटा वर्ष 1981 में टाटा इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए जहाँ वे समूह के कार्यनीतिपरक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी बने तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक बने ।

1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयरमेन का कार्य भार संभाला । टाटा ने पुराने लोगों को बाहर निकाल दिया और युवा प्रबंधकों को जिम्मेदारियां दी गयीं । तब से लेकर उन्होंने  टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल दिया है जो आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूँजी रखता है ।

रतन के मार्गदर्शन में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (CTS ) सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई । 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा ।

31 जनवरी को रतन टाटा की अध्यक्षता में टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहीत किया जोकि एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात की निर्माता कंपनी है । इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये । इस विलय के फलस्वरूप दुनिया को पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला ।

 रतन टाटा का सपना उनकी टाटा नैनो कार 2008

   रतन टाटा का सपना था कि एक लाख रुपए की लागत की कार बनायी जाए ।  नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी, 2008 को इस कार का उद्घाटन करके उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया । टाटा नैनो के तीन मॉडलों की घोषणा की गई और रतन टाटा ने सिर्फ़ एक  लाख रूपये की कीमत की कार बाजार को देने का वादा पूरा किया । साथ ही इस कीमत पर कार उपल्बध कराने के अपने वादे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा “वादा एक वादा है  ।26 मार्च 2008 को टाटा मोटर्स ने रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया । ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक जगुआर और लैंड रोवर 1.15 अरब पाउंड ($ 2.3अरब)  में खरीदी गई ।

पुरस्कार और मान्यता

भारत के 50वें  गणतंत्र दिवस समारोह पर सन 2000 में रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्मभूषण से सम्मानित किया गया ।  बाद में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया । रतन टाटा ने 2007 में टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक प्राप्त किया । वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार-2008 को प्राप्त करने वालों में से एक थे । ये पुरस्कार उन्हें 14 फरवरी 2008 को मुम्बई में हुए एक समारोह में दिया गया ।

     रतन टाटा भारत में विभिन्न संगठनों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे और वे प्रधानमंत्री की व्यापार एवं उद्योग परिषद के सदस्य भी रहे । मार्च 2006  में उन्हें आर्थिक शिक्षा के क्षेत्र में राबर्ट हैटफ़ील्ड सम्मान से सम्मानित किया गया जो कार्नेल विश्वविद्यालय सर्वोच्च प्रतिष्ठित व्यवसायी व्यक्तियों को प्रदान करती है ।

      रतन टाटा के विदेशी संबंधों में मित्सुबिशी निगम, अमेरिकन इंटरनेशनल-समूह , जेपी मॉर्गन चेज़ और  बूज एलन हैमिल्टन के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्यता शामिल है । वे रैंड निगम और अपनी  मातृसंस्था कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी मंडल के भी सदस्य हैं ।

  वे दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड सदस्य हैं और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के एशिया-पैसिफिक सलाहकार समिति के एक सदस्य हैं । टाटा एशिया पैसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केन्द्र के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स में हैं और बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत एड्स इनिशीएटिव कार्यक्रम बोर्ड पर हैं । फरवरी 2004 में रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो  शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया ।

    उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई और नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापार क्षेत्र के 25  सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया । मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया । टाटा की 1 लाख रुपए की छोटी कारनैनोके लिए सराहना की गई । वे उन महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक हैं जिन्होंने अपने वायदे का पालन किया ।

(स्रोत – http://www.iloveindia.com/indian-heroes/ratan-tata.html)

Glossary

( shabdkosh.com is a link for an onine H-E and E-H dictionary for additional help)

स्नातक

graduate

बर्बरता

निर्दयता f, cruelty

क्रान्ति

revolution

दिवालिया

bankrupt

खिताब

title, honor

दूरदर्शी

दूरद्रष्टा, visionary, far-sighted person

श्रम-नीति

labor policy

आर्थिक स्वतंत्रता

economic independence

जलविद्युत परियोजना

hydro-electric project

राष्ट्रवादी सोच

राष्ट्रवादी चिंतन m, nationalist thinking

दमनकारी नीति

oppressive policy

लाभांश

dividend

अनुसरण करना

to follow

प्रतिकूल

उलटा, opposite direction

उत्तरदायी

responsible

मार्गदर्शन

guidance

Structural Review

1.

जमशेदजी ने  अपनी पढ़ाई के दौरान ही

अपना/ अपने/ अपनी are reflexive pronouns. When the subject and the possessive pronoun in the same sentence refer to the same person, then the possessive pronoun in Hindi is a reflexive pronoun. Compare the following two sentences of English – He is going to his house. Here the possessive pronoun ‘his’ can mean either ‘his own’ or ‘someone else’s’. In the former sense, ‘he’ and ‘his’ refer to the same person and therefore ‘his’ in that sentence will be reflected as a reflexive pronoun in  Hindi. However, a reflexive pronoun would be grammatically incorrect in the second sentence where the subject and the possessive pronoun refer to two different persons.

2.

 

उन्होंने हीरा बाई दबू से विवाह कर लिया था

Here कर लेना is a compound verb where लेना adds a special shade to the meaning of करना. In this case, the effect of करना is related to the person in the subject place. Contrast it with the use of a compound verb कर देना in the following sentence where the effect of करना is related not to the person in the subject place but to the object विवाह in the sentence. Example: उनके पिता ने उनका विवाह हीरा बाई दबू से कर दिया था.

3.

संकल्पित

 

 

Many new words have been created in Hindi in the last century to match up with professional English terms. This was achieved with the help of prefixes and in some cases with suffixes attached to existing words. Examples: कल्पना (imagination), प्रकल्पना (presumption), संकल्पना (conceptualization), etc.  So, संकल्पित means ‘conceptualized’.

Cultural Notes

1.

वे सालों से मुंबई के कोलाबा जिले में किताबों एवं कुत्तों से भरे हुए एक बेचलर फ्लैट में रह रहे हैं

In Indian society, a simple lifestyle, is valued by many, especially on the part of those who can afford to live luxuriously.

Practice Activities (all responses should be in Hindi)

1.

Select any one paragraph from this unit and re-write it in your own words changing as many words as possible but without changing the essential meaning. Would replacing Hindi words with English borrowings be acceptable?

2.

There are two spellings for the Hindi word for ‘international’ – अंतर्राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय. Look through the Internet and a couple of different Hindi dictionaries to find out if there is a problem in accepting the former usage in the sense of ‘international’.

3.

Do some research about the word अधिग्रहीत used in this unit. See if Hindi dictionaries accept this word. If you google this word you are likely to find out that many writers use it. This seems to be a conflict between grammar and usage. Discuss your summary and your ideas with others.

4.

A word कार्यनीतिपरक is used in this unit. Create a few  more words with the suffix परक?

5.

रतन टाटा का सपना था कि एक लाख रुपए की लागत की कार बनायी जाए

Can you transform this sentence into active voice?

Comprehension Questions

1. Based on the text, what describes Jamshed Tata’s persona?

            a. shy

            b. carefree

            c. humane

            d. businessman

2. How many businesses were acquired under Ratan Tat’a leadership as mentioned in the text?

            a. 1

            b. 2

            c. 3

            d. 4