Module 3b

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Amul Dairy

Module 3.2

कुटीर उद्योग -2

अमूल डेयरी

 

परिचय

अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है। यह एक ब्रान्ड नाम है जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है। गुजरात के लगभग 26 लाख दुग्ध उत्पादक सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के अंशधारी (मालिक) हैं।

अमूल, संस्कृत के अमूल्य का अपभ्रंश है; अमूल्य का अर्थ है – जिसका मूल्य न लगाया जा सके। अमूल, गुजरात के आणंद नामक नगर में स्थित है। यह सहकारी आन्दोलन की दीर्घ अवधि में सफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है और विकासशील देशों में सहकारी उपलब्धि के श्रेष्ठतम उदाहरणों में से एक है। अमूल ने भारत में श्वेत क्रान्ति  की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक मात्रा वाला दुग्ध उत्पादक देश बन गया। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया है।

अमूल (आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ) की स्थापना 14 दिसंबर,1946 में एक डेयरी यानी दुग्ध उत्पाद सहकारी आंदोलन के रूप में हुई थी। इसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध का पाउडर, मक्खन, घी, चीज़,पनीर, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइसक्रीम, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि।

अमूल डेयरी के जन्म की कहानी

किसानों की जिन्दगी गुजरात के खेडा जिले में बहुत ही मुश्किल और दयनीय हुआ करती थी जैसे भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी है। फिर उनकी मेहनत का जो पैसा हुआ करता था वह कमीशन की तरह दलाल खा जाया करते थे। इस मुश्किल  को कम करने के लिए किसानों ने सोचा कि हम खुद अपना उत्पादन करें और फिर उसको जाकर बाजार में बेचें। इस क्रान्तिकारी सोच ने ही अमूल को जन्म दिया।

अमूल तब शुरू हुआ था जब हमारा देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे  दूरदर्शी और क्रान्तिकारी नेता ने सोचा कि  किसानों को आर्थिक मजबूती तभी प्रदान की जा सकती है जब वे दलालों की मजबूत पकड़ से बाहर आ सकेंगे। 4 जनवरी 1946 में स्मारखाँ (खेडा जिला) गुजरात में एक मीटिंग में इस पर विचार किया गया कि हमको सहयोगी गाँवों में दुग्ध उत्पादन केंद्र  बनाने चाहिए। फिर पहली सहकारी संस्था आनंद में बनाई गई जहाँ छोटे किसानों ने साथ में आकर हाथ मिलाया और एक गाँव का एक सहकारी समूह तैयार किया जिसने अमूल के नाम से पूरे देश में सफलता प्राप्त की। इसका पंजीकरण दिसम्बर 1946 में किया गया और फिर मुम्बई योजना के अन्दर दुग्ध उत्पादन की सप्लाई 1948 में शुरू की गई। 1973 में यह गुजरात सहकारी दुग्ध मार्केटिंग फ़ेडरेशन लि. में तबदील हो चुकी थी और अमूल के नाम से लोकप्रिय हुई।

अमूल के काम का मॉडल

अमूल 6 मिलियन लीटर दूध रोज 10,755 गाँवों से एकत्रित करता है और ये गाँव पूरे गुजरात में फैले हुए हैं। लोगों तक एक अच्छा उत्पाद पहुँचाने के लिए अमूल द्वारा इसमें एक 3 टीयर मॉडल का इस्तेमाल किया जाता था – जिसमें पहले गाँव में एक संस्था से दूध लिया जाता था (जो प्राइमरी प्रोडयूसर हुआ करते थे)। फिर यह दूध जिले के सहयोगी दुग्ध भंडार के पास जाता था। वे दूध को पर्याप्त तापमान पर रखते थे और उसको रखने के लिए उसमें रासायनिक पदार्थ डाले जाते थे और फिर तीसरे चरण में वह दूध फेडरेशन (जो दूध की प्रोसेसिंग और उसको बाजार में बेचने का काम करता था) तक पहुँचता था। इस माडल में से दलाल/ बिचौलिए को पूरी तरह हटाया जा चुका था और यही गाँव के लोगों के मुनाफ़े का स्रोत बना।

एक क्रांतिकारी परिवर्तन

अपनी एक मीटिंग में अमूल के चेयरमैन वी. कुरियन ने कहा – “सहयोग से काम करना और सबके साथ काम करना” उनकी सबसे पहली सोच है । यह उन इंसानों का विश्वास है कि जब लोग साथ में काम करते हैं तो वे अपने खुद के बारे में कम सोचते हैं और अपनी टीम के बारे में ज़्यादा सोचते हैं। इसी सोच ने यह चमत्कार और जादू कर दिखाया है कि अमूल कम्पनी आर्थिक और व्यापारिक रूप से एक मजबूत कम्पनी बन गयी।

            2004 तक अमूल 20 लाख  किसानों का, जो पूरे गुजरात में फैले हुए थे, रोज़ी- रोटी का बहुत बड़ा ज़रिया बना हुआ था और ग्राहकों को भी कम पैसों में एक अच्छा उत्पाद पहुँचता था। बाजार में इतनी प्रतिस्पर्धा के होते हुए भी ब्रांड अमूल हर रोज सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करता रहा। इसमें उनकी पैकेजिंग तकनालोजी और नई तकनीकें अपनाने का राज़ था। अमूल की केंद्रीय टीम आज भी वही है जो पहले हुआ करती थी और विज्ञापन एजेंसी भी वही है उसमें भी कोई बदलाव लाया नहीं गया। 

अमूल पूरे देश  की पहचान बन गया है। अमूल का “ Utterly Butterly campaign”  सबसे ज्यादा चलने वाला विज्ञापन था और इसको गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड  में भी शामिल किया गया था क्योंकि कम्पनी का मानना था कि हम एक बहुत  ‘‘सीधी, आसान, एक नई सोच के साथ और अपने ग्राहकों को एक सा उत्पाद प्रदान करने वाली कम्पनी  हैं। “ अमूल ने कभी कोई बड़ी अभिनेत्री को अपने विज्ञापन में इस्तेमाल नहीं किया  क्योंकि वह अपने आप को आम आदमी से जोड़ना चाहते थे। अमूल की सफलता उसकी सोच और उसकी मार्केटिंग पर रही जिसमें उसने ऐसे उत्पाद बनाए जहाँ भारतीय या गाँव के लोगों को एहसास था कि अगर हम अपने घरों  में भी दूध मक्खन का उत्पादन करेंगे तो हमको इससे सस्ता नहीं पड़ने वाला। लोगों  को उन पर एक विश्वास था कि अगर यह हमारे जैसे किसानों के घरों से ही निकल कर बाजार में उपलब्ध हो रहा है तो यह गलत चीज़ नहीं हो सकती। आज पूरे देश में अमूल के 50 विक्रय कार्यालय हैं, 3000 थोक डीलर्स  और 5,000 से भी ज्यादा  खुदरा विक्रेता हैं।

उपयोगी शब्दार्थ

( shabdkosh.com is a link for an onine H-E and E-H dictionary for additional help)

दुग्ध सहकारी आन्दोलन m

दुग्ध विपणन संघ m

प्रबन्धन m

उत्पादक m/f

अंशधारी m/f

अमूल्य

अपभ्रंश m

दीर्घ अवधि f

श्रेष्ठ उदाहरण m

विकासशील देश m

श्वेत क्रान्ति f

स्थापना f

दयनीय

दलाल m/f

क्रान्तिकारी सोच f

दूरदर्शी

आर्थिक मजबूती f

पंजीकरण m

एकत्रित करना

पर्याप्त तापमान m

रासायनिक पदार्थ m

स्रोत m

परिवर्तन m

चमत्कार m

ज़रिया m

प्रतिस्पर्धा f

कीर्तिमान m

विज्ञापन m

अभिनेत्री f

एहसास m

उपलब्ध होना

विक्रय कार्यालय m

खुदरा विक्रेता m/f

milk cooperative movement

milk marketing organization

management

producer

stock holder

invaluable

colloquial form

long duration

best example

developing country

white revolution

establishment

pitiable

broker

revolutionary thinking

far sighted

economic strength

registration

to collect

enough temperature

chemical material

source

change

miracle

means

competition

record

advertisement, commercial

actress

awareness

to be available

sale office

retail seller

Linguistic and Cultural Notes

1. Hindi, like other Indian languages, distinguishes between a formal and informal style. This phenomenon is known as diglossia. For example, let’s look at the sentence from this unit – जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है. Few Hindi speakers are likely to use words like सहकारी दुग्ध विपणन संघ and प्रबन्धन in their informal daily speech. Such uses are seen more often in written texts and sometime in formal spoken style. Addtionally, spoken style words can be used in formal style (spoken and written) but the reverse is not as common.

2. In the Indian state of Gujarat, Amul was a revolutionary cooperative movement by farmers which eliminated intermediaries from selling their cattle’s milk in the open market. Although Amul soon developed into a huge high-tech industry which produces a variety of milk products, its cooperative character continues to remain in place.

Language Development

The two following vocabulary categories are designed for you to enlarge and strengthen your vocabulary.  Extensive vocabulary knowledge sharpens all three modes of communication, With the help of dictionaries, the internet and other resources to which you have access, explore the meanings and contextual uses of as many words as you can in order to understand their many connotations.

Semantically Related Words

Here are words with similar meanings but not often with the same connotation.

दुग्ध

प्रबन्धन

अमूल्य

सोच

लोकप्रिय

पदार्थ

विश्वास

ज़रिया

प्रतिस्पर्धा

दूध

आयोजन

अनमोल, मूल्यवान

विचार, चिन्तन

प्रसिद्ध, मशहूर

वस्तु

यकीन

साधन

स्पर्धा, मुकाबला, प्रतियोगिता, प्रतिद्वन्द्विता

Structurally Related Words (Derivatives)

मूल्य, मूल्यवान, मूल्यांकन, मोल, अनमोल

विकास, विकसित, अविकसित, विकासशील

दया, दयनीय, दयालु, दयावान, निर्दय, निर्दयी

रस, रसिक, रसायन, रसायनिक, रासायनिक

ज्ञापन, विज्ञापन

अभिनेता, अभिनेत्री, अभिनय

उपलब्ध, उपलब्धि, उपलब्धता, सुलभ, दुर्लभ

क्रय, विक्रय, विक्रेता, बिक्री

Comprehension Questions

1. Which of the following statements is not based on the text?

a. Amul had its genesis in a cooperative movement.

b. Amul processed its milk with the addition of chemicals.

c. Amul used farmers for its ads and commercials.

d. Amul established a record success in the market.

2. What was the reason for not using glamorous personalities for their ads and commercials?

a. promoting their own farmers

b. saving money

c. connecting with common people

d. all of the above

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