Lijjat PapaR
Module 3.3
कुटीर उद्योग -3
लिज्जत पापड़
परिचय
श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़, लिज्जत ब्रांड के रूप में जाना जाता है। यह एक भारतीय महिला सहकारी संगठन है जो विभिन्न खाद्य उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन से संबद्ध है। लिज्जत प्रमुखतया अपने मूल रूप में एक कुटीर उद्योग था जो अब दूर दूर तक फैल गया है। महिलाओं के द्वारा संचालित इस संगठन का मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ साथ महिला सशक्तीकरण पर भी बल देना है। लिज्जत का मुख्यालय मुंबई में है और पूरे भारत में इसकी 35 डिवीजन में 67 शाखाएं है। इस उद्योग का व्यापार 70 देशों में है और लगभग 44,000 महिलाएं इससे रोज़गार पा रही हैं।
संगठन का इतिहास
मुंबई के मध्यवर्ग की 7 अनपढ़ स्त्रियों ने एक इमारत की छत पर 80 रुपये के क़र्ज़ से पापड़ बेलना शुरू किया। जसवंतीबेन पोपट, जो इस समूह की अकेली जीवित सदस्य हैं, कहती है – “घर के पुरुष काम पर चले जाते थे और बच्चे स्कूल। घर के काम पूरे कर लेने के बाद हम दिन भर खाली रहते थे। धनी औरतों की तरह शॉपिंग या किटी पार्टी नहीं कर सकते थे। तब हमें पापड़ बनाने का विचार आया।” इन सात औरतों ने मिलकर उधार लिए गए अस्सी रुपये से पहली बार अपना सपना साकार किया और आज यह उनका संगठन पापड़ ही नहीं मसाले और डिटर्जेंट जैसे तमाम उत्पाद बनाता है।
लिज्जत जिन सात गुजराती गृहिणियों के दिमाग की उपज था वे गिरगाम के एक पांच मंजिला भवन में रहती थीं । स्थायी आजीविका के लिए एक उद्यम शुरू करने के प्रयास में वे अपने केवल एकमात्र कौशल खाना पकाने की कला का उपयोग करना चाहती थीं। ये उद्यम इन सात महिलाओं के नाम से जाना जाता है – जसवंतीबेन जमनादास पोपट, पार्वतीबेन रामदास थोडानी, उजमाबेन नारानदास कुंडलिया, बानुबेन एन तन्ना, लगुबेन अमृतलर गोकानी, जयाबेन वी. विठलानी, और एक औरत का नाम अज्ञात है। इन महिलाओं ने भारत सोसायटी के एक सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता छगन लाल करमसी पारेख से 80 रुपए उधार लेकर पापड़ बनाने वाला एक डूबता हुआ उद्यम लक्ष्मीदास भाई से खरीदा। 15 मार्च, 1959 को वे अपनी इमारत की छत पर एकत्र हुईं और पापड़ के चार पैकेट के साथ उत्पादन शुरू कर दिया। सबसे पहले भूलेश्वर में एक व्यापारी को पापड़ बेचना शुरू किया। प्रारंभ से ही इन महिलाओं का अटल फैसला था कि वे किसी से दान या मदद नहीं लेंगी, भले ही संगठन को कितना भी नुकसान उठाना पड़े।
छगन लाल करमसी पारेख, जो लोकप्रिय छगन बापा के रूप में जाना जाता है, उनका मार्गदर्शक बन गया। शुरू में इन महिलाओं ने दो तरह के पापड़ बनाए इनमें एक कम दर पर बेचने के लिए था। छगन बापा ने उन्हें सिर्फ मानक किस्म के पापड़ बनाने और गुणवत्ता से कोई समझौता न करने की सलाह दी। बापा ने उनसे इसे एक व्यावसायिक उद्यम के रूप में चलाने और खातों को उचित रूप में बनाए रखने के महत्व पर बल दिया। लिज्जत का एक सहकारी प्रणाली के रूप में विस्तार किया गया। तीन महीने के भीतर 25 महिलाएँ पापड़ बनाने लगीं। जल्दी ही महिलाओं ने व्यापार के लिए बर्तन, अलमारी, स्टोव जैसे कुछ उपकरण खरीदे। पहले वर्ष इस संगठन की वार्षिक बिक्री 6,196 रुपये थी।
लिज्जत का प्रचार-प्रसार
इस समूह को मौखिक चर्चा से और स्थानीय भाषा के समाचारपत्रों में लेख के माध्यम से काफी प्रचार मिला। इस प्रचार ने उन्हें अपनी सदस्यता में वृद्धि करने में मदद की। अपने गठन के दूसरे वर्ष तक 100 से 150 महिलाएँ इस समूह में शामिल हो गई थीं, और तीसरे वर्ष के अंत तक यह सदस्य संख्या 300 से अधिक हो गई। इस समय के अंत तक सात महिला संस्थापकों वाले इस नए समूह के लिए एक छत काफ़ी नहीं थी जो इतने सदस्यों और सामग्री को समायोजित कर सकती, तो गुँथा हुए आटा सदस्यों को अपने घरों को ले जाने और पापड़ बनाने के लिए वितरित किया गया। बाद में पापड़ वजन और पैकेजिंग के लिए वापस लाए जाने लगे। 1962-63 में पापड़ की वार्षिक बिक्री ने 182,000 रुपए के आंकड़े को छुआ।
जुलाई 1966 में लिज्जत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत हुआ। उसी महीने छगन बापा की सिफारिश पर यू.एन. देवधर, जो खादी ग्रामोद्योग और ग्रामीण आयोग (KVIC) के अध्यक्ष थे, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लिज्जत का निरीक्षण किया। सितम्बर 1966 में के.वी.आई.सी ने औपचारिक रूप से एक इकाई के रूप में लिज्जत को खादी और ग्रामोद्योग अधिनियम के तहत अनाज और दालों के प्रसंस्करण से संबंधित “ग्रामोद्योग” के रूप में मान्यता प्रदान की और 8 लाख रुपये की कार्यशील पूंजी और करों में छूट भी दी।
1987 में, बांद्रा, मुंबई के एक उपनगर में कमल अपार्टमेंट्स के नए परिसर में लिज्जत के लिए नया केंद्र खरीदा और पंजीकृत कार्यालय जुलाई 1988 से बांद्रा में स्थानांतरित कर दिया। 1988 में लिज्जत ने ससा डिटर्जेंट और साबुन के साथ साबुन बाजार में प्रवेश किया। ससा की वार्षिक बिक्री 500 करोड़ रुपये की थी, जो लिज्जत के 1998 में कुल कारोबार का 1 7 प्रतिशत था। मार्च 1996 में लिज्जत की 50 वीं शाखा मुंबई में खोली गई। जब भी लिज्जत की एक नई शाखा खोली जाती है, तब एक पड़ोसी लिज्जत शाखा उसका मार्गदर्शन करती है और नए सदस्यों के प्रशिक्षण में मदद करती है।
विदेशों में प्रसार
1980 के दशक और 1990 के दशक में लिज्जत ने विदेशी अतिथियों और अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया। युगांडा की उपराष्ट्रपति डा.वांदिरा काजिब्वे स्पेसिओसा ने जनवरी 1996 में केंद्रीय कार्यालय का दौरा किया। क्योंकि वह युगांडा में एक ऐसी ही संस्था शुरू करना चाहती थीं। लिज्जत ने यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, मध्यपूर्व, सिंगापुर, नीदरलैंड, थाईलैंड, और अन्य देशों में व्यापारी आयातकों की मदद से अपने उत्पादों का निर्यात शुरू कर दिया। 2001 में अमेरिका को वार्षिक निर्यात 2.4 मिलियन डालर था। अपनी लोकप्रियता बढ़ने पर लिज्जत को नकली लिज्जत पापड़ की समस्या का भी सामना करना पड़ा।
संगठन संरचना और प्रबंधन
लिज्जत सर्वोदय के दर्शन और सामूहिक स्वामित्व में विश्वास रखता है। यह लाभ और हानि दोनों स्थितियों में मालिकों के रूप में अपने सभी सदस्यों को एक सहभागी के रूप में स्वीकार करता है। सदस्य सहमालिक हैं और प्यार से उन्हें “बहनें” कहा जाता है। सभी निर्णय आम सहमति पर आधारित हैं और किसी भी सदस्य बहन को एक निर्णय वीटो करने का अधिकार है। पुरुष केवल वेतनभोगी कर्मचारी (एकाउंटेंट, ड्राइवर या सुरक्षा गार्ड), हैं। वे संगठन के सदस्य नहीं है। संगठन का संचालन 21 सदस्यीय प्रबंध समिति को दिया जाता है जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, दो सचिव और दो कोषाध्यक्ष हैं। विभिन्न शाखाओं और प्रभागों का प्रभार संचालिकाओं के पास है।
संगठन का सामाजिक कार्यों में योगदान
संगठन ने सदस्य बहनों और उनके परिवारों के लिए कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास किए है। बहनों के लिए एक साक्षरता अभियान गिरगाम में जून 1999 को शुरू हुआ। बाद में प्रबंध समिति ने अपनी सभी शाखाओं में ऐसी कक्षाओं को शुरू करने का फैसला किया। 1980 के बाद से लिज्जत सदस्य बहनों की बेटियों को छगन बापा स्मृति छात्रवृत्ति देना शुरू कर दिया गया।
सदस्य बहनों ने वलोद केंद्र में ग्रामीण महिलाओं के लिए एक शैक्षिक केंद्र की स्थापना की। टाइपिंग, खाना पकाना, ओरिएंटेशन कोर्स सिलाई, बुनाई और खिलौना बनाने के रूप में प्रशिक्षण की व्यस्था की गई इसी तरह से बच्चों के कल्याण, प्राथमिक चिकित्सा और स्वच्छता जैसे अन्य पाठ्यक्रमों को भी चलाया जाता था। वलोद में पहली पक्की सड़क लिज्जत की मदद से बनाई गई और1979 में वलोद शाखा द्वारा उसका उद्घाटन किया गया।
कई अवसरों पर लिज्जत की सदस्य बहनों ने गरीब बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन का वितरण और सामुदायिक शादी का आयोजन करने के लिए पैसे दान किए। प्राथमिक शिक्षा के प्रसार के लिए गठित रक्तदान ड्राइव उपक्रम, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, वृक्षारोपण जैसे सामाजिक सेवा की गतिविधियों शुरू कीं। लिज्जत ने महाराष्ट्र के लातूर जिले में भूकंप से प्रभावित गांव का पुनर्वास कार्यक्रम चलाया। उनके लिए संस्थागत वित्तीय सहायता प्रदान की और गांव के लोगों के लिए पचास-साठ घरों के निर्माण के काम की देखरेख की। मदर टेरेसा के निर्देश पर सदस्य बहनों ने आशा-धन नामक एक संस्था की कुछ गतिविधियों में भाग लिया जो बेसहारा महिलाओं के कल्याण का काम करती थीं।
उपयोगी शब्दार्थ
( shabdkosh.com is a link for an onine H-E and E-H dictionary for additional help)
महिला गृह उद्योग m
खाद्य उपभोक्ता वस्तुएं f.pl. स्थायी आजीविका f मार्गदर्शक m/f व्यावसायिक उद्यम m सहकारी प्रणाली f उपकरण m मौखिक चर्चा f समायोजित करना वितरित करना निरीक्षण करना औपचारिक रूप से अधिनियम m प्रसंस्करण m मान्यता f कार्यशील पूंजी f उपनगर m स्थानांतरित करना प्रशिक्षण m दशक m संगठन संरचना f प्रबंधन m सामूहिक स्वामित्व m वेतनभोगी कर्मचारी m/f प्रभार m साक्षरता अभियान m छात्रवृत्ति f प्राथमिक चिकित्सा f पाठ्यक्रम m उद्घाटन m पौष्टिक भोजन m रक्तदान ड्राइव उपक्रम m वृक्षारोपण m पुनर्वासm |
women’s home industry
edible consumer goods stable livelihood guide business-related venture cooperative system instrument oral discussion to arrange/adjust to distribute to inspect formally regulation processing recognition working capital suburb to transfer training decade organization structure management collective ownership salaried employee charge, official responsibility literacy campaign scholarship first aid curriculum inauguration nutritious food launching of blood donation drive tree planting rehabilitation |
Linguistic and Cultural Notes
1. Thousands of new words have been coined in Hindi to meet demands of the modern day. Many have been laboriously coined by scholars while others are invented by language users. Examples of new words coined by scholars are सशक्तीकरण, मुख्यालय, गुणवत्ता, वेतनभोगी, अधिनियम, प्रसंस्करण and examples of words coined by users of the language are (बिजली का) गरम तार, (बिजली का) ठंडा तार, सहभागी, सहमालिक, रक्तदान, वृक्षारोपण. Both these processes are continuous and complementary processes in language development.
2. Cooperative movements for business ventures are a relatively recent phenomenon in India’s business history. There have been many of them since India’s independence in 1947. The idea of collective effort and management gains relevance mostly in areas where there is a dearth of capital and management.
Language Development
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Semantically Related Words
Here are words with similar meanings but not often with the same connotation.
महिला
वस्तु आजीविका व्यावसायिक छात्रवृत्ति चिकित्सा भोजन उपक्रम |
औरत, स्त्री, नारी
चीज़, पदार्थ रोज़ी, रोज़ी-रोटी व्यवसायिक, व्यवसाय-संबंधी, व्यापारिक वज़ीफ़ा इलाज, उपचार खाना, खाद्य आरंभ, शुभारंभ, प्रारंभ, शुरुआत |
Structurally Related Words (Derivatives)
उद्योग, उद्योगपति, औद्योगिक, औद्योगिकीकरण, प्रौद्योगिकी
उपभोग, उपभोक्ता
स्थायी, स्थायित्व
मार्गदर्शन, मार्गदर्शक, मार्गदर्शिका
मुख, मौखिक, मुख्य, मुख्यतः
आयोजन, आयोजित, समायोजित, प्रायोजित
निरीक्षण, निरीक्षक, परीक्षा, परीक्षण, अन्वीक्षण, सर्वेक्षण
उपचार, औपचारिक, औपचारिकता, औपचारिकीकरण, अनौपचारिक, अनौपचारिकीकरण
नियम, नियमित, नियामक, अधिनियम, विनियम
शिक्षण, प्रशिक्षण
प्रबंध, प्रबंधन, प्रबंधक
अक्षर, साक्षर, साक्षरता, निरक्षर, निरक्षरता
पुष्ट, पुष्टि, पुष्टिकारक, पौष्टिक
Comprehension Questions
1. Which of the following is not mentioned or implied in the text?
a. There are some men in this women’s organization.
b. Women empowerment was Lijjat’s primary goal.
c.Lijjat’s products are exported to many countries.
d. Lijjat received some support from other organizations.
2. What kind of charities did Lijjat make contributions to?
a. orphanages
b. schools for the blind
c. widows assistance
d. medical help