c. Consulting with someone
Module 4.3
व्यावसायिक वार्ता Business Talk |
व्यावसायिक परामर्श Business Consultation
|
Text Level
Intermediate High |
Modes
Interactive Interpretive
|
What will students know and be able to do at the end of this lesson?
Consulting for a business start-up |
Text
(श्री राजकुमार गुप्ता और उनका बेटा एक नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और इस संदर्भ में राज गुप्ता अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री राजेश मल्होत्रा से परामर्श करने उनके संजयनगर स्थित ऑफ़िस पहुँचे)
राजेश मल्होत्रा – नमस्कार, गुप्ता जी ! आइए, बैठिए ! रा.गुप्ता – नमस्कार राजेश जी ! (भीतर आकर हाथ मिलाता है और बैठता है) राजेश मल्होत्रा – बहुत दिन बाद दर्शन हुए । आप क्या कहीं बाहर गए हुए थे? राज गुप्ता– क्या बताऊँ, हर दूसरे दिन दिल्ली के चक्कर लग रहे हैं । वक़्त ही नहीं मिल रहा । राजेश मल्होत्रा – दिल्ली के चक्कर? क्यों? कोई ख़ास बात? रा.गुप्ता – मल्होत्रा साहब ! आजकल वकील, डॉक्टर और पुलिस के साथ साथ सी.ए.को भी आदमी सिर्फ़ ज़रूरत पड़ने पर ही याद करता है । राजेश मल्होत्रा – ज़रूरत नहीं, मजबूरी पड़ने पर कहिए । ( दोनों हँस पड़ते हैं ) राज गुप्ता – एक काम के सिलसिले में मुझे बहुत ज़रूरी सलाह लेनी थी । राजेश मल्होत्रा – कैसा काम? खुल कर बताइए । राज गुप्ता – अरे ! चाय-वाय के लिए नहीं पूछिएगा? राजेश मल्होत्रा – ओह ! बातों के चक्कर में मैं तो भूल ही गया था । बताइए क्या लेंगे ठंडा या गरम? राज गुप्ता– ऐसा कीजिए । गरम आने तक ठंडा भी चलेगा । चलिए, ठंडा ही मँगा लीजिए । राजेश मल्होत्रा – अरे रामू ! दो कोल्ड ड्रिंक लेकर आना ! राज गुप्ता – राजेश जी ! छोटा बेटा वार्टन से एम.बी.ए. करके लौटा है । कहता है एक रेस्तराँ चेन खोलना चाहता है । राजेश मल्होत्रा – रेस्तराँ चेन क्यों ? आप का खानदानी काम भी तो अच्छा खासा चल रहा है । क्या उसे वो काम पसंद नहीं ? राज गुप्ता – हाँ, जूते का कारख़ाना इतना फ़ायदा दे रहा है । इधर तो विदेश तक माल की माँग है पर पढ़-लिख कर बच्चे नए विचार लेकर आते हैं । नई पीढ़ी की नई सोच होगी ही । कहता है मॉल्ज़ का ज़माना है । कहता है कि आजकल दुकान पर कौन जाता है? राजेश मल्होत्रा – और नहीं तो क्या? फूड-चेन्ज़ के ज़माने में फ़ास्ट फूड के शौकीन भी खूब पैदा हो गए हैं । आजकल छुट्टी के दिन या वीकएंड में इन जगहों पर तिल धरने तक की जगह नहीं होती । राज गुप्ता – उसके कई दोस्त भी यही सलाह दे रहे हैं कि अपना कुछ करो । यह कतई घाटे का सौदा नहीं होगा। एक मौके की जगह भी मिल गई है । राजेश मल्होत्रा – चलो, यह तो साबित हो गया कि यह आपका बेटा अपने किसी बड़े व्यवसाय में ही दिलचस्पी रखता है और नफ़े नुकसान के बारे में सोच रहा है । राज गुप्ता– कैसे? राजेश मल्होत्रा – अभी से नफ़े-नुकसान का हिसाब जो रख रहा है । राज गुप्ता– भई ! बनिए का बेटा पेट से ही सब सीख कर आता है । मछली को तैरना सिखाना नहीं पड़ता । (दोनों ज़ोर का ठहाका लगाते हैं । रामू कोल्ड ड्रिंक लेकर आता है) राजेश मल्होत्रा– अब बताइए मैं क्या सेवा कर सकता हूँ? राज गुप्ता – प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग के बारे में सलाह करने आया था । राजेश मल्होत्रा – देखिए आपके सामने दो विकल्प हैं – पहला कोई नई चेन खोलने का । दूसरा किसी चलते हुए व्यवसाय को ख़रीदने का । राज गुप्ता– दोनों में से कौनसा विकल्प अच्छा रहेगा? राजेश मल्होत्रा – देखिए गुप्ताजी ! दोनों के अलग अलग फ़ायदे हैं । नए काम में ख़र्चा और मेहनत बहुत अधिक होगी । क्योंकि आजकल चेन-रेस्तराँ का चलन काफ़ी बढ़ गया है, ऐसे में किसी बढ़िया ग्रुप की फ्रेंचाइज़ लेकर काम करने की भी सोच सकते हैं । अपना ब्रांड बनाने में काफ़ी समय लगता है । राज गुप्ता–अगर चलते हुए किसी रेस्तराँ को या उसकी किसी एक फ़्रेंचाइज़ को एक मुश्त खरीदना हो तो — राजेश मल्होत्रा – देखिए, इसमें चल-अचल संपत्ति से ज़्यादा ख्याति या गुडविल की कीमत चुकानी पड़ती है । कुल मिलाकर यह सौदा नए रेस्तराँ खोलने से ज़्यादा महँगा पड़ता है लेकिन यह ठीक है कि ग्राहकों को नए सिरे से जोड़ने की कवायद से मुक्ति मिल जाती है । राज गुप्ता– आपकी राय में किसमें ज़्यादा फ़ायदा है? राजेश मल्होत्रा– सर ! मैंने दोनों विकल्पों के बारे में आपको सही सही राय दी है । एक बात अवश्य है कि नए रेस्तराँ चेन को खोलने के लिए बैंक आसानी से फाइनेंस के लिए तैयार हो सकता है । पुराने चलते हुए रेस्तराँ को खरीदने में फाइनेंस इतनी आसानी से नहीं मिल पाएगा। राज गुप्ता – यह तो बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है आजकल बिना फाइनेंस के कोई भी व्यवसाय शुरू नहीं हो सकता । फाइनेंस व लिमिट बाँधे बिना पूँजी का लगातार फ़्लो संभव नहीं है । राजेश मल्होत्रा – यह तो सही कहा आपने । वैसे भी किसी रेस्तराँ को बनाने या खरीदने में कम से कम दस करोड़ का निवेश निश्चित है और किसी भी व्यक्ति के लिए निजी तौर पर इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करना असंभव है । राज गुप्ता – आज की हमारी बातचीत काफ़ी अच्छी रही । अगर इजाज़त हो तो कल मैं अपने बेटे को लेकर एक बार फिर आ जाऊं? आज वह बैंक से लोन की जानकारी लेने गया हुआ है वरना साथ ही आ जाता। राजेश मल्होत्रा – कल तक कोई और बात ध्यान में आएगी तो उस पर भी ग़ौर कर लेंगे । राज गुप्ता – कहिए कल किस समय आएँ? राजेश मल्होत्रा – आप इसी समय आ जाएँ । आपके लिए तो समय निकालना ही पड़ेगा । निश्चिन्त रहें । यह भी अपना ही काम है । हाँ, आने से पहले एक फ़ोन अवश्य कर लें । राज गुप्ता – अवश्य, तो इज़ाज़त दें । राजेश मल्होत्रा – ठीक है, कल मिलते हैं । राज गुप्ता – नमस्कार । राजेश मल्होत्रा – नमस्कार । (दोनों हाथ मिलाते हैं और गुप्ता जी विदा होते हैं) |
Glossary
( shabdkosh.com is a link for an onine H-E and E-H dictionary for additional help)
संदर्भ m | प्रसंग m, प्रकरण m, context |
चक्कर m | trip, confusion |
मजबूरी f | compulsion |
पीढ़ी f | पुश्त f, generation |
घाटा m | हानि f, loss |
साबित होना | सिद्ध होना, to be proved |
विकल्प m | option |
एक मुश्त | in one shot, in one lump sum |
चल-अचल संपत्ति f | movable – immovable property |
कवायद f | drill, exercise, hard work of no use, बेकार की मेहनत |
मुक्ति f | आज़ादी f, स्वतंत्रता f, स्वातंत्र्य m, freedom |
महत्वपूर्ण पहलू m | important aspect |
निवेश m | investment |
Structural Review
1. | बहुत दिन बाद दर्शन हुए !
क्या लेंगे ठंडा या गरम? |
These are samples of ritual sentences that reflect social warmth. These and many others are exchanged as courtesy expressions in informal conversation between acquaintances and friends. |
2. | तिल धरने तक की जगह नहीं होती । | This is an idiom which literally means that there is no place even to place a sesame seed, implying that the place is very crowded. |
3. | वरना साथ ही आ जाता
|
The verb ending in –ता without any tense marker (है, हैं, था, etc.) is called the hypothetical or contrary-to-fact construction. This often occurs in an if clause, e.g., अगर वह खाली होता तो मेरे साथ आ जाता, अगर मेरे पास इतने पैसे होते तो मुझे बैंक से उधार लेने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी. |
4. | किस समय आएँ ?
इसी समय आ जाएँ। |
The subjunctive form is used for making a polite request in the form of a suggestion. Subjunctive constructions can also be used for asking a question or seeking permission to do something. |
Cultural Notes
1. | अरे ! चाय-वाय के लिए नहीं पूछिएगा?
|
Such a question coming from the guest himself suggests that the relationship between the two interlocutors is close and informal. |
2. | तो इज़ाज़त दें ।
ठीक है, कल मिलते हैं। नमस्कार । |
These are typical ways of winding down the conversation and taking leave. |
3. | इज़ाज़त
|
The standard pronunciation is इजाज़त. Some Hindi speakers over-use the Urdu sounds ज़ and फ़ because of their ignorance of the original Urdu spellings. |
4. | Use of जी after one’s name | The honorific जी can be used after one’s first name or after one’s last name.The use of जी after the last name is a little more formal than the use of जी after the first name. |
Practice Activities (all responses should be in Hindi)
1. | Collectively build a business plan for creating a chain of Indian restaurants with a difference. |
2. | Frame five questions you would like to ask a consultant for your project for opening a chain of Indian restaurants. |
3. | Make a list of courtesy expressions used in this lesson. |
4. | Critique the following statement –
बनिए का बेटा पेट से ही सब सीख कर आता है |
5. | View the statement अपना ब्रांड बनाने में काफ़ी समय लगता है and discuss pros and cons of starting a new business vs. purchasing a running business. |
Comprehension Questions
1. How was Raj Gupta in his responses to Rajesh Malhotra’s sarcastic comments?
a. accepting
b. friendly ‘small talk’
c. tit-for-tat
d. offensive
2. What was the outcome of the meeting for Raj Gupta?
a. He had all his questions answered for the project.
b. For him, nothing concrete emerged from the meeting.
c. He was happy with the information he had received.
d. He was not happy and wanted to make another appointment.