N.P.O. & K.P.O. in India
Module 6.2
ऑउट्सोर्सिंग उद्योग – 2
ग्रामीण बी.पी.ओ.
भारत में ग्रामीण बी.पी.ओ.
छोटे शहरों की ओर से चुपके से ग्रामीण बी.पी.ओ. का आगमन शुरू हो चुका है। आउटसोर्सिंग चलन में परिवर्तन हो रहा है, तथा ग्रामीण आउटसोर्सिंग लागत कम करने वाला विकल्प है। कुछ बी.पी.ओ. नॉन-एयरकण्डीशन भवनों से संचालित हो रहे हैं, जो कि स्कूली भवन अथवा मैरिज हॉल हैं। इनके कर्मचारी अपनी शिफ़्ट समाप्त होने पर दूध काढ़ने घर भाग जाते हैं, ग्रामीण बी.पी.ओ. प्लास्टिक की कुर्सियों के सस्ते ढाँचे पर चल रहे हैं। अन्य केन्द्र बायोमैट्रिक आई-डी पर संचालित हो रहे हैं, जहाँ के टीम लीडर पोस्ट ग्रेज्युएट हैं। इनकी भौगोलिक स्थिति बड़े शहरों से दूर स्थित होती है। यह अर्द्ध शहरी ग्रामीण समुदाय होते हैं जैसे कि आन्ध्र प्रदेश राज्य का इथाकोटा, केरल का मुन्नार तथा कर्नाटक राज्य का सिंगाओ। आधे से अधिक कर्मचारी महिलाएँ हैं जो 19 से 35 के आयु वर्ग की हैं।
बहुत से कर्मचारी बी.पी.ओ. कम्पनियों को लघु नियोजन की भाँति देखते हैं जब उच्च शिक्षा या योजनाओं हेतु उनके पास पर्याप्त धन आ जाता है तो वह बी.पी.ओ. को छोड़ कर अपने कार्य में लग जाते हैं। इस चलन ने बी.पी.ओ. कम्पनियों के कर्मचारियों के आवर्तन में वृद्धि कर दी है। बढ़ती बुनियादी लागत, रियल स्टेट लागत तथा बढ़ते वेतनों के कारण बी.पी.ओ. कम्पनियों की लागतें असाधारण रूप से बढ़ी हैं तथा इसके परिणामस्वरूप कम्पनियां टीयर –1 शहरों को छोड़कर अपने कार्य टीयर –2 तथा टीयर –3 शहरों में ले जाने की सोच रहे हैं।
अधिकांश ग्रामीण बी.पी.ओ. में या तो कॉलिज से निकले लोग हैं या प्रारम्भिक शिक्षा-प्राप्त लोग हैं। टीम के नेता की भूमिका होती है कि ऐसे बी.पी.ओ. में शहर के उन शिक्षित लोगों को भर्ती करना उचित है जिनका कहीं न कहीं ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ाव होता है और जो ग्रामीण संस्कृति से भली प्रकार से अवगत होते हैं। वे आमतौर पर एक ग्रामीण बी.पी.ओ. में काम करके अपने परिवार से दूर न रहकर पर्याप्त बचत कर सकते हैं क्योंकि शहर में रहने की लागत निश्चित ही अधिक होती है।
ग्रामीण भारत में बी.पी.ओ. स्थानान्तरण के फ़ायदे
ग्रामीण क्षेत्र आउटसोर्सिंग एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसकी लागत कम होती है। ग्रामीण आउटसोर्सिंग अपेक्षाकृत सस्ता है। सम्पूर्ण वेतनमान भी शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कम है। बी.पी.ओ. कम्पनियों के संदर्भ में ग्रामीण बी.पी.ओ. के कारण बी.पी.ओ. की संचालन लागत कम है तथा कर्मचारियों का आवर्तन भी कम है। शहरी बी.पी.ओ. के कर्मचारियों के जॉब बदलने/छोड़ने का प्रतिशत 50 है जबकि ग्रामीण बी.पी.ओ. में ऐसा कुछ नहीं है। यही ग्रामीण बी.पी.ओ. के प्रमुख लाभ हैं। यह एक बहुत बड़ा लाभ सिद्ध हो रहा है क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में अनेक और विकल्प मौजूद हैं जहाँ बढ़ते वेतन लागत-संवेदनशील बी.पी.ओ. के लिए कम आकर्षक हो रहे हैं। परिणामस्वरूप भारत के ग्रामीण क्षेत्र आकर्षक विकल्प के रूप से उभर रहे हैं। कर्मचारियों का ग्रामीण बी.पी.ओ. में औसत वेतन 70 से 100 डॉलर है जबकि शहरी बी.पी.ओ. में कर्मचारियों का वेतन 150 से 220 डॉलर के आसपास है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण बी.पी.ओ. में शहरी लागत के मुकाबले 30 से 40% कम संचालन लागत है।
ग्रामीण भारत का रूपान्तरण
ग्रामीण बी.पी.ओ. यह प्रक्रिया शिक्षित जनशक्ति को बड़े बड़े नगरों की ओर भागने से रोकने में सहायक है। विशेष रूप से शिक्षित महिलाओं को जो अपने निवास क्षेत्र से बाहर आसानी से नहीं जा सकती हैं, इस प्रकार के अवसर बड़े उत्साहवर्धक हैं। इससे उच्चाशिक्षा के लिए महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं। इसी संदर्भ में विभिन्न राज्य सरकारें ग्रामीण बी.पी.ओ. को देश में स्थापित करने हेतु अनेक लाभदायक योजनाएँ प्रस्तावित कर रही हैं।
छोटे नगरों और गांवों की स्थानीय आबादी का एक भाग हाईटेक सेक्टर में रोज़गार पा रहा है जोकि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं था। ग्रामीण बी.पी.ओ. के कारण रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है जिसमें ग्रामीण समाज की समृद्धि देखी जा सकती है तथा सर्वविध विकास में भी सहायता हो रही है। इस दिशा में यदि और प्रगति होती है तो ग्रामीण भारत को देश की मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिशों में वृद्धि होगी। इसमें कोई सन्देह नहीं कि ग्रामीण भारत का रूपान्तरण अन्य कारणों से भी प्रारम्भ हो चुका है।
ग्रामीण बी.पी.ओ. की चुनौतियां
ग्रामीण बी.पी.ओ. की मुख्य चुनौती यह है कि ग्राम/कस्बों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है जैसे कि बिजली की कमी, खराब टेली-संप्रेषण, परिवहन, शिक्षा तथा अन्य सहायक सुविधाएँ। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के बी.पी.ओ. धीमी गति के इन्टरनेट कनेक्शन की समस्या से जूझते हैं। बी.पी.ओ. स्टॉफ़ की योग्यता में परिवर्धन करना भी एक गम्भीर चुनौती है। इस अन्तर को कम करने के लिए ग्रामीण भारत को मुख्य शहरों के समकक्ष लाने हेतु भारत सरकार निजी निकायों के साथ मिलकर प्रयास कर रही है जिससे कि शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता को सुधारा जा सके तथा ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी सुविधाओं को नगरों के समकक्ष लाया जा सके।
यदि इन समस्याओं का वृहद् पैमाने पर हल निकाला जा सके तो आई.टी. सेवा सेक्टर नियोजन के अन्तर को समाप्त करके कम लागत पर विदेशी ग्राहकों को सुविधाएँ दे पाएगा। वास्तव में ग्रामीण जनशक्ति को खींचकर सम्पूर्ण कर्मचारी आवर्तन को कम किया जा सकेगा तथा योग्यताओं के अभाव से भी निपटा जा सकेगा।
भारत में ग्रामीण बी.पी.ओ. के कुछ उदाहरण
1. देशी क्रू सोल्यूशन्स प्रा.लि. एक ग्रामीण बी.पी.ओ. कम्पनी आर.टी.बी.आ.ई. एवं आई.आई.टी. मद्रास द्वारा संचालित ।
2. रूरल सोर्स नामक फ़र्म जोकि बी.पी.ओ. आउटसोर्सिंग के व्यापार के सेटअप को कर्नाटक के बेगपल्ली जिले से दो घण्टे दूर आन्ध्रप्रदेश में एक घर से संचालित कर रहे हैं।
3. पिलानी भारत में पहला और एकमात्र ग्रामीण बी.पी.ओ. जोकि उच्च मेडीकल ट्रान्सक्रिप्सन का हब है।
4. दृष्टि डेवलपमेन्ट एण्ड कम्युनिकेशन लि. दिल्ली के निकट नोयडा में स्थापित पहली ग्रामीण बी.पी.ओ. कम्पनी है।
5. चिडा सॉफ्ट बी.पी.ओ. खिजानपुर गाँव में स्थापित तमिलनाडु के थिरुवल्लूर ज़िले में स्थित है । इसके बी.पी.ओ. ऑपरेशन्स को भारत में चेन्नई में लार्सन इण्डिया द्वारा संचालित किया जाता है।
उपयोगी शब्दार्थ
( shabdkosh.com is a link for an onine H-E and E-H dictionary for additional help)
ग्रामीण
परिवर्तन m संचालित होना भौगोलिक स्थिति f आयुवर्ग m प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त जुड़ाव m ग्रामीण संस्कृति f अवगत जनशक्ति f लागत-संवेदनशील वेतनमान m रूपान्तरण m आवर्तन m मुख्यधारा f रूपान्तरण m अवसर m उपलब्ध समृद्धि f उत्साहवर्धक महत्वाकांक्षाएं f.pl. लाभदायक योजनाएँ f.pl. प्रस्तावित करना चुनौती f उपलब्धता f सुधारना बुनियादी सुविधा f अभाव m योग्यता f परिवर्धन m समकक्ष m निजी निकाय m वृहद् पैमाने पर निपटाना हल m |
rural
change to be operative geographical location age group who have received elementary education attachment rural culture familiar manpower cost-sensitive salary scale transformation rotation, turn-around mainstream transformation opportunity available prosperity encouraging ambitions profitable plans to propose challenge availability to improve basic facility shortage ability increase being at an equal level private corporation on a large scale to accomplish solution |
Linguistic and Cultural Notes
1. In professional discourse semantic convergence between Hindi and English is constantly growing, mainly at the level of vocabulary. Undoubtedly, the convergence is in the direction of English. Examine the following expessions from this unit. ग्रामीण बी.पी.ओ, बुनियादी सुविधाएं, परिवहन, सहायक सुविधाएँ, योग्यता में परिवर्धन, शहरों के समकक्ष, निजी निकाय, शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता
2. According to a report in the Wall Street Journal, India’s outsourcing industry generated $69 billion in revenue from exports in the fiscal year 2011-12. With an increasing demand for engineering graduates, outsourcing companies are beginning to tap the pool of graduates in small towns and villages which constitute more than 70% of India’s population. This move is likely to become a great leveler between urban and rural India.
Language Development
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Semantically Related Words
Here are words with similar meanings but not often with the same connotation.
ग्रामीण
परिवर्तन जनशक्ति अवसर उपलब्ध समृद्धि बुनियादी अभाव योग्यता समकक्ष हल |
देहाती
बदल लोकबल मौका प्राप्त संपन्नता आधारभूत कमी काबलियत समस्तरीय समाधान |
Structurally Relaed Words (Derivatives)
गाँव, ग्राम, ग्रामीण, ग्राम्य
भूगोल, भौगोलिक
प्रारम्भ, प्रारम्भिक, आरम्भ, आरम्भिक
संवेदना, संवेदनशील
उत्साह, उत्साही, उत्साहवर्धन ,उत्साहवर्धक, उत्साहजनक, प्रोत्साहन, प्रोत्साहित
प्रस्ताव, प्रस्तावित, प्रस्तावक
Comprehension Questions
1. Which statement is not based on the text?
a. Women in rural areas are inspired to get higher education.
b. Rural BPOs reduce the gap between cities and villages.
c. Finding qualified workers is a challenge in rural areas.
d. Rural BPOs are also attracting city dwellers for jobs.
2. Which statement is closest to the text?
a. Improvement in technology in rural India is the best outcome.
b. Employees from rural India are seen changing their jobs often.
c. Companies are providing incentives for working in rural BPOs,
d. Relocation of BPOs in rural areas has not proved an easy task.